इस आधुनिक युग में जहाँ हर युवा अपने और अपने घर परिवार के लिए जीता है वहीँ आलोक आर्यवीर घर परिवार से दूर राष्ट्र को प्रथम दृष्टिकोण में प्राथमिकता देते हुए सामजिक सेवावों के लिए लगे हुए हैं उनकी एक पसंदीदा लाइन है |
बनाई बाते बहुत वतन की वतन बनाओं तो हम भी जाने , लगी चमन में है आग भीषण उसे बुझाओ तो हम भी जाने
उनका कहना है घर परिवार के लिए तो सभी जीते हैं क्योंकि जब घर परिवार तक सीमित रहते हैं तो आप केवल 100 से 200 लोगों के बारें में सोच पाते हैं उनकी सेवा कर पाते हैं लेकिन जब आप समाज के लिए जीते हैं तो आप करोड़ों लोगों की सेवा कर पाते हैं इसलिए सेवा को सर्वोपरि मान राष्ट्र के लिए समर्पित रहना ही राष्ट्र पूजा है |